ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से बाहर निकलने के ऐलान के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कड़े प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया है। ऐसे मे अब ईरान ने भी इन प्रतिबंधों से निपटने की तैयारी कर ली है।
ईरान के उपराष्ट्रपति ने मंगलवार को स्वीकार किया की अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा लेकिन वह जितना हो सकता है, उतना तेल बेचना जारी रखेंगे जिससे कि बैंकों को बचाया जा सके।
उन्होने कहा कि अमेरिका ईरान के पेट्रोकेमिकल, स्टील और कॉपर निर्यात पर रोक लगाना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘तेल से होने वाली सबसे बड़ी आमदनी को अमेरिका खत्म करना चाहता है। लेकिन यह सोचना गलती है कि ईरान के खिलाफ व्यापार युद्ध से उसे कोई नुकसान नहीं होगा।’
इसी बीच ईरान को चीन और जर्मनी का साथ मिला है। चीनी प्रधानमंत्री ली किचिंग ने बर्लिन में जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, परमाणु समझौते की समाप्ति पर दुनिया को गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा।
मार्केल ने कहा, जर्मनी और चीन ईरानी परमाणु समझौते मे अमेरिका की अनुपस्थिति के बावजूद ईरान का समर्थन करते हैं। उन्होंने ईरान के साथ परमाणु समझौते को रचनात्मक वार्ता का परिणाम बताते हुए उस पर बने रहने की बात कही है।