बैरूत, 12 मार्च। फ़िलस्तीन की आज़ादी और इसके लिए चल रहे प्रयासों के लिए चौथे अन्तरराष्ट्रीय अधिवेशन का सोमवार को औपचारिक उद्घाटन हुआ। इस सम्मेलन में पूरी दुनिया के फ़िलस्तीन के हक़ में आंदोलनकर्ताओं ने बैठकर कई मुद्दों पर चर्चा की जिसमें प्रमुख रूप से अमेरिका के यरूशलम को इस्राइल की राजधानी मानते हुए अपने दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम ले जाने पर बात हुई। भागीदारों ने यूँ तो कई मुद्दों पर ज़ोर दिया लेकिन पहले दिन फ़िलस्तीनियों पर इस्राइल सेना और सरकार के ज़ुल्म, फ़िलस्तीनी इलाक़ों में यहूदी बस्तियाँ बसाने और मानवाधिकार पर चर्चा हुई। इस अधिवेशन में भारत से बहुत बड़ा प्रतिनिधिमंडल पहुंचा है जिसमें कई प्रमुख चेहरे शामिल हैं।
फ़िलस्तीनियों की नहीं मिलती लाशें भी
इस्राइली जेलों में कैदियों की पीड़ा और अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में एक लघु फिल्म को दिखाया गया। इसके बाद, इजरायल के कब्जे में आयोजित अरब और फिलिस्तीनी शहीदों के लिए राष्ट्रीय अभियान की कन्वीनर सलवा रिज़्क़ल्लाह ने कहा कि आज भी 235 लोगों की लाशों को इस्राइल ने नहीं लौटाया है जो मानवाधिकार के हर क़ानून का उल्लंघन है।
रिज़्क़ल्लाह ने कहा “हमने कई सालों पहले शहीदों की लाश को पुनः प्राप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई शुरू की और 2010 में हम 34 वर्ष के बाद शहीद माशोर अल-अरुरी के शरीर को पुनः प्राप्त कर पाए थे।“
बच्चों पर इस्राइली ज़ुल्म की इंतहा
डीसीआई के आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2000 से अब तक 2031 फ़िलस्तीनी बच्चों को इस्राइली सेना ने मार डाला है और इन 18 सालों में अब तक 10 हज़ार बच्चों को गिरफ़्तार किया गया है। एक फ़िल्म के ज़रिए बच्चों पर इस्राइली ज़ुल्म को दिखाया गया। इस मौक़े पर इस्राइली सेना द्वारा ज़िन्दा जला दिए गए बच्चे मुहम्मद अबू ख़ुदैर के पिता भी अधिवेशन में मौजूद थे। इस्राइली सरकार के फ़िलस्तीनी इलाक़ों पर क़ब्ज़ों पर पत्रकार बक्र अब्दुल हक़ ने अपनी रिपोर्ट पेश की।
यूरोप में इस्राइली माल पर रोक के प्रयास
बेल्जियम से आईं फ़िलस्तीनी कार्यकर्ता मरियम दीली ने बताया कि वह इस्राइल के विरोध में इस्राइली माल को बेचे जाने के विरुद्ध आंदोलन चला रही हैं लेकिन उन्हें दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी वह लोगों के बीच इस बात को आम करना चाहती हैं कि फ़िलस्तीनियों पर जुल्म के विरोध में इस्राइली माल का बायकॉट क्यों करना चाहिए।
यरूशलम को किसी हाल में नहीं छोड़ेंगे- क़ुद्स शेख़
यरूशलम के प्रमुख शेख़ मुहम्मद हुसैन ने कहाकि यरूशलम पर क़ब्ज़ा करके इस्राइल इस बात की कोशिश कर रहा है कि वह शहर का अरबी और इस्लामी चरित्र क़ानून के बल पर बदल दे और दूसरा वह धार्मिक यात्रा पर टैक्स लगाकर फ़िलस्तीन के आंदोलन को मुश्किल बनाना चाहता है। उन्होंने कहाकि फ़िलस्तीनियों को शिक्षा और स्वास्थ्य में बेहतर समर्थन की आवश्यकता है।
सम्मेलन के दौरान तीन कमेटियों का गठन किया गया जिन्हें रिटर्न कमेटी, अल क़ुद्स कमेटी और सामान्यीकरण के विरुद्ध कमेटी का नाम दिया गया। इसमें शामिल किए गए प्रतिभागी विषय के आधार पर आंदोलन को अपनी राय देंगे। मंगलवार को सम्मेलन का तीसरा दिन होगा जिसमें अन्य फ़िलस्तीनी मुद्दों पर चर्चा होगी।