नई दिल्ली: रूस द्वारा आयोजित बैठक में शुक्रवार को भारत पहली बार ‘गैर आधिकारिक’ रूप से शामिल होगा और तालिबान से बात करेगा। अफगानिस्तान पर रूस द्वारा आयोजित बैठक में तालिबान के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। तीन दशकों से युद्ध और आतंक का दंश झेल रहे अफगानिस्तान के भविष्य के लिहाज से ये बहुपक्षीय बैठक बेहद महत्वपूर्ण है।
अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रह चुके अमर सिन्हा और पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त टीसीए राघवन इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के सभी प्रयासों का समर्थन करता है जो एकता और बहुलता को बनाए रखेगा तथा देश में स्थिरता और समृद्धि लाएगा।
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के सभी प्रयासों का समर्थन करता है जो एकता और बहुलता को बनाए रखेगा तथा देश में स्थिरता और समृद्धि लाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने जोर दिया कि भारत की सतत नीति यह रही है कि इस तरह के प्रयास अफगान-नेतृत्व में, अफगान-स्वामित्व वाले और अफगान-नियंत्रित तथा अफगानिस्तान सरकार की भागीदारी के साथ होने चाहिए।
रूसी समाचार एजेंसी तास के मुताबिक यह दूसरा मौका है जब रूस युद्ध से प्रभावित अफगानिस्तान में शांति लाने करने के तरीकों की तलाश करते समय क्षेत्रीय शक्तियों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका और कुछ अन्य देशों को निमंत्रण भेजा गया है।
आपको बता दें कि रूस के व्लादीमिर पुतिन ने पिछले महीने नई दिल्ली का दौरा किया था इसके बाद ही भारत की तरफ से ये कदम तब उठाया गया है। सितंबर में अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी के भारत दौरे पर पीएम मोदी ने कहा था कि भारत अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए पूरी तरह से तत्पर हैं।