असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को भारत का आंतरिक मसला बता चुके बांगलादेश ने अब एनआरसी में शामिल नहीं एचपी पाए 40 लाख लोगों को बांग्लादेशी बताए जाने पर सबूतों की मांग की है। बांग्लादेश ने कहा कि असम के 40 लाख लोगों को बांग्लादेशी घुसपैठिए समझने का कोई तर्क (लॉजिक) नहीं है।
बांग्लादेश के गृहमंत्री अस-दुजमान खान ने बुधवार ‘News18’ के साथ फोन पर हुई बातचीत में ये बातें कही. उन्होंने कहा, ‘असम एनआरसी के दूसरे ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। इन्हें बांग्लादेशी बताया जा रहा है, जिसके पीछे कोई तर्क या ठोस सबूत नहीं है। ये भारत का आतंरिक मामला है, जिसे उसे खुद ही अपने स्तर पर सुलझाना होगा। उम्मीद है कि भारत 40 लाख बेघर लोगों को बांग्लादेश नहीं भेजेगा।’
अस-दुजमान खान ने कहा, ‘1971 के बंटवारे के बाद कुछ लोग बांग्लादेश छोड़कर चले गए थे। जिन लोगों ने देश छोड़ा था, वो अब कहीं न कहीं बस चुके हैं। सहमति समझौते के तहत बांग्लादेश के कुछ लोगों ने भारत में भी शरण ली थी, लेकिन बाद में उन्हें वापस भेज दिया गया, जहां उनका पुनर्वास कर दिया गया। इसके बाद भारत में किसी भी बांग्लादेशी शरणार्थी के होने की रिपोर्ट उनकी सरकार के पास नहीं है।’
बांग्लादेशी गृहमंत्री ने कहा, ‘ऐसा विश्वास करना गलत होगा कि असम एनआरसी में जिन 40 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं किया गया, वो सभी बांग्लादेशी हैं। अगर भारत इस मामले में कोई मजबूत तर्क और ठोस सबूत देता है, तो इस मुद्दे को बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है। बातचीत के बाद अगर जरूरत हो, तो बांग्लादेश उन्हें अपने देश के नागरिक के तौर पर स्वीकार कर सकता है। मुझे लगता है कि इस तरह की स्थिति में पड़ोसी देश के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने का एकमात्र तरीका ‘संवाद’ है।’
अस-दुजमान खान ने कहा, ‘दोनों देशों के बीच मजबूत कूटनीतिक संबंध है। इसी बेहतर संबंधों के बल पर हम ये उम्मीद करते हैं कि भारत किसी जल्दबाजी में असम के 40 लाख लोगों को बांग्लादेश नहीं भेजेगा।’ बांग्लादेश के सूचना मंत्री ने यह भी कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी खासी बढ़ रही है। ऐसे में किसी बांग्लादेशी को भारत जाने की जरूरत ही नहीं है। वे लोग बांग्लादेशी हैं, तो भारत सरकार को आधिकारिक तौर पर बात करनी होगी।’ सूचना मंत्री हसन उल हक ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में बांग्लादेश असम सरकार से किसी प्रकार का संवाद नहीं करेगा।