5 नवंबर से अमेरिका के प्रतिबंध शुरू होने है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही ईरान से तेल खरीदने को लेकर भारत को कड़ी चेतावनी दे चुके है। ऐसे में अब इस मुसीबत में भारत को सऊदी अरब का साथ मिला है। सऊदी अरब ने सोमवार को कहा है कि वह भारत की बढ़ती तेल ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल फालिह ने इंडिया एनर्जी फोरम में कहा कि भारत की मौजूदा सरकार जिस तरह से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए काम कर रही है वो काबिले तारीफ है। उन्हें ये कहने में हिचक नहीं है कि भारत में अच्छे दिन नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि उनका बार बार भारत दौरा इस बात का प्रमाण है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और सऊदी अरब का परस्पर एक होना दोनों देशों के लिए बेहतर है।
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब की नेशनल ऑयल कंपनी सऊदी आर्मको,अबु धाबी की नेशनल ऑयल कंपनी ने 60 मिलियन टन क्षमता वाली रत्नागिरी पेट्रोकेमिकल कांप्लेक्स में 44 बिलियन डॉलर निवेश करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि ये तो महज शुरुआत है दोनों देश मिलकर ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कदम उठाएंगे।
#WATCH Under PM Modi's stewardship, doing business in India has become significantly easier. FDI has grown and inflation is under https://t.co/N8evHq6gNi other words, PM Modi is making good of his promise of 'Acche Din': Saudi Arabia Energy Minister Khalid A. Al-Falih pic.twitter.com/4KmB32EAJU
— ANI (@ANI) October 15, 2018
उन्होंने कहा कि ईरान पर प्रतिबंध की वजह से किसी तरह की कमी को पूरा करने के लिए वह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि मैंने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया है कि हम भारत की कच्चे तेल की जरूरत को पूरा करेंगे और यहां निवेश करना जारी रखेंगे।
वही भारत ने इस बात का ऐलान किया है कि वो 6.5 मिलियन टन कच्चे तेल के भंडारण के लिए आवाश्यक आधारभूत ढांचा तैयार किया जाएगा। इसके लिए दोनों देशों की सरकारी फर्मों के साथ साथ प्राइवेट फर्म्स को भी मौका दिया जाएगा।