ब्रेक्जिट समझौते के ब्रिटेन की संसद में गिरने के बाद मुश्किलों में घिरीं ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा को फिलहाल बड़ी राहत मिल गई है। विपक्षी लेबर पार्टी द्वारा उनके खिलाफ संसद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो सका।
खबर के मुताबिक 325 सांसदों ने उनकी सरकार का समर्थन किया। वहीं, 306 सांसदों ने संसद में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। मे को 19 मतों के अंतर से जीत मिली. इससे एक दिन पहले यूरोपीय संघ के साथ ब्रेक्जिट समझौते को लेकर संसद में थेरेसा मे की ऐतिहासिक हार हुई थी।
पीटीआई के मुताबिक इसके बाद मे ने सांसदों से अपील की कि वे अपने ‘निजी हितों को दरकिनार’ कर ब्रेक्जिट के लिए ‘मिलकर रचनात्मक तरीके से काम’ करें। मे ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर कहा, ‘अब हम सब को ब्रेक्जिट पर आगे काम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ब्रिटेन के लोग चाहते हैं कि हम ब्रेक्जिट समझौता जल्द से जल्द कर लें और उनसे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर भी ध्यान दें।’
तो दूसरी और यूरोपियन संघ (ईयू) के कई देशों ने ब्रेग्जिट न लागू होने पर चिंता जताई है क्योंकि इससे कई यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे। यूरोपियन कमीशन के अध्यक्ष ज्यां क्लॉड जंकर ने कहा, ‘मैं यूके से आग्रह करता हूं कि जितनी जल्दी हो सके वह अपना पक्ष स्पष्ट करे।’
ईयू के चीफ ब्रेग्जिट निगोशिएटर माइकल बर्नी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘ब्रेग्जिट समझौता अच्छा भी है और सबसे मुमकिन डील भी। अगर ऐसा होता है तो पूरे यूरोप में लोगों को ब्रेग्जिट से हुए घाटे की भरपाई हो सकेगी। बिल पारित होने से ब्रिटेन यूरोपीय संघ से आसानी से बाहर हो सकेगा।’ बर्नी ने कहा, ‘हालांकि मंगलवार को संसद में जो कुछ हुआ उससे ब्रिटेन का ब्रेग्जिट से बाहर जाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। हम नहीं चाहते दोबारा ऐसा हो, लेकिन यूरोपीय कमीशन ईयू को तैयार रहने के लिए हर मुमकिन सहायता देगा।’
ईयू काउंसिल के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा, ‘यदि कोई सौदा असंभव है और कोई भी सौदा नहीं चाहता है, तो आखिरकार यह कहने की हिम्मत नहीं होगी कि एकमात्र सकारात्मक समाधान क्या है?’