अल जजीरा के मुताबिक़, रविवार को ली ने केवल उन व्यक्तियों से मुलाकात की जिनसे म्यांमार सरकार ने उन्हें पूर्व-अनुमोदित किया था. जबकि उन्हें रोहिंग्या गांवों का दौरा करने और पीड़ितों से मुलाक़ात करने की बात कही गई थी.
12 दिन के लिए म्यांमार पहुंची ली की जांच में अब म्यांमार सरकार रोड़े अटका रही हैं. ताकि राखिनें में रोहिंग्या मुस्लिमों पर बौद्ध समुदाय और सुरक्षा बलों का अत्याचार सामने न आ सके. 12 दिनों की यात्रा में यांग ली को राख़ीन राज्य, आर्थिक राजधानी यांगून, म्यांमार की राजधानी नायपीदा और उत्तरी राज्य काचीन का दौरा करना था. जहां सेना काचीन जाति के छापामारों के ख़िलाफ़ कार्यवाही कर रही हैं.
याद रहे कि ली पहले ही ने राखिने में सैन्य कार्रवाई को “अस्वीकार्य” करार देते हुए कहा कि सैनिकों द्वारा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के सदस्यों के साथ बलात्कार, हत्या और उन्हें यातना देने की रिपोर्टो की जांच करना आवश्यक था.
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, म्यांमार में 86 रोहिंग्या मुसलमानों का जनसंहार हो चुका है और 34000 रोहिंग्या मुसलमान, जो म्यांमार में अल्पसंख्यक हैं, अपना घर-बार छोड़ कर बांग्लादेश फ़रार होने पर मजबूर हुए हैं.