न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर में दो मस्जिदों में नमाज के दौरान अंधाधुंध फायरिंग कर 51 मुस्लिमों को मौत के घाट उतारने वाले ऑस्ट्रेलियाई व्हाइट सुपरमिस्ट आतंकी को कोर्ट ने बिना पैरोल उम्रकैद (Life imprisonment without parole) की सजा सुनाई है।
फैसले में सजा का ऐलान करते हुए जज कैमरुन मांडर ( Cameron Mander ) ने कहा कि यह अमानवीय कृत्य है।सजा सुनाते वक्त जज ने दोषी से कहा- तुम हमारे देश में सिर्फ कत्लेआम के मदसद से आए थे, इस देश को इंसानियत के लिए जाना जाता है।
More family members of victims came face-to-face with Christchurch mosque shooter on Wednesday, some turning their ire on the white supremacist who gunned down 51 people during the 2019 shooting rampage https://t.co/5CElAbK4dB pic.twitter.com/anRmufOsPT
— Reuters (@Reuters) August 26, 2020
उन्होने कहा, यह जघन्य अपराध है और इंसानियत के खिलाफ है। यह हैरान करने वाली बात है कि किसी व्यक्ति के अंदर इतनी नफरत भी हो सकती है। उसे अपने किए पर कोई पछतावा भी नहीं है। पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि ब्रेंटन को अपने किये का कोई पछतावा नहीं है और वह इसके लिए शर्मिंदा भी महसूस नहीं करता।
सुनवाई के दौरान टैरंट बिना हिले-डुले बैठा रहा और अपने खिलाफ गवाहों के बयानों को सुनता रहा। कुल 91 लोग इस हमले के गवाह थे और उन्होंने अपने खास लोगों को गंवाने को लेकर कोर्ट में बेहद ही मार्मिक बयान दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार इस शख्स की वजह से उनके अपनों को उनकी आंखों के सामने ही जुदा होना पड़ा।
न्यायाधीश मंडेर ने इस हमले में जान गंवाने वाले और घायल लोगों को मौखिक श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, अदालत का ध्यान जवाबदेही, निंदा और समुदाय की सुरक्षा के लिए केंद्रित होना चाहिए।