भारत की दक्षिण एशियाई उपग्रह परियोजना से पाकिस्तान के बाद अब अफगानिस्तान ने भी नाता तोड़ लिया हैं. अफगानिस्तान ने अपनी अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक यूरोपीय कंपनी से सबंध जोड़ा हैं. इसके अलावा इस परियोजना में बांग्लादेश की भी कोई खास दिलचस्पी नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2014 में इसरो से एक ऐसा उपग्रह विकसित करने को कहा है जिसे पड़ोसी देशों के लिए ‘तोहफे’ के रूप में समर्पित किया जाए। उन्होंने काठमांडू में दक्षेस शिखर सम्मेलन के दौरान भी इस संबंध में घोषणा की थी।
अफगानिस्तान से उपग्रह संबंधी बातचीत से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने कई दौर की बातचीत की। एक मौके पर उन्होंने एक खास मांग की, हमने उसे पूरा किया। अगली बैठक में उन्होंने कुछ दूसरी मांग सामने रख दीं।’ अधिकारी ने कहा, ‘एक और मुद्दा उपग्रह की लोकेशन का था। भारत और अफगानिस्तान जिस ऑर्बिट में अपने-अपने उपग्रह रखना चाहते थे, वह कमोबेश एक ही थी।’
बहरहाल, श्रीलंका, भूटान, मालदीव और नेपाल से इस परियोजना को आगे ले जाने के लिए बातचीत जारी है।