
ताजनगरी आगरा में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया और अब्दुल करीम की दोस्ती पर आधारित फिल्म का निर्माण शुरू हो गया हैं. अब्दुल करीम आगरा के ही रहने वाले थे. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान महारानी विक्टोरिया ने 1887 में भारतीय नौकरों को एक समारोह के दौरान इंग्लैंड बुलाने का आदेश दिया था.
ये आदेश इसलिए दिया गया था कि उनका मानना था कि चूंकि भारतीय नौकर हिंदुस्तानी रीतिरिवाजों से परिचित होते हैं इसलिए उनके माध्यम से वे भारतीय राज घरानों से सम्पर्क करने में सहायक होंगे. आगरा के जेल सुपरिटेन्डेन्ट जॉन टाइलर ने कुछ भारतीयों को इग्लेंड भेजा. इसी में 23 साल के असिस्टेंट क्लर्क अब्दुल करीम भी थे. जो पानी के जहाज से इन्हें 1887 में इंग्लैंड पहुँच गये.
करीम की ईमानदारी और वफादारी के चलते महारानी विक्टोरिया के लिए वे काफी ख़ास हो गये. दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता कायम हो गया. बाद में वे महारानी विक्टोरिया को हिन्दुस्तानी भाषा, खान-पान के बारे में सिखाने लगे. महारानी ने उन्हें सी वी ओ का खिताब भी दे दिया, जिसे रॉयल विक्टोरियन ऑर्डर में ‘कमांडर’ का खिताब कहते हैं. इस कारण लोग करीम से जलने लगे.
करीम की तक़दीर बुलंद होती गई. वे महारानी विक्टोरिया के सचिव बन गए. करीम को रहने के लिए रॉयल पैलेस ऑफ विंडसर, बालमोरल इन स्कॉटलैंड और ऑस्बॉर्न हाउस दिया गया. साथ ही उनकी घोड़ागाडी के साथ एक फुटमैन भी लगाया गया. क्वीन विक्टोरिया के निधन के बाद किंग एडवर्ड ने उनको 1901 में वापस भारत भेज दिया गया जहां करीम का देहांत हो गया और आज भी उनकी कब्र आगरा के पंचकुइयां में हैं.
इस फिल्म का निर्माण ब्रिटिश डायरेक्टर स्टीफन फ्रेयास कर रहे हैं. इस फिल्म में करीम का किरदार भारतीय अभिनेता अली फजल निभा रहे हैं और क्वीन विक्टोरिया की भूमिका में हैं ऑस्कर पुरस्कार विजेता हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री जूडी डेंच. प्रोड्यूसर अकरम मलिक के अनुसार , भारत में होने वाली फिल्म की शूटिंग का हिस्सा पूरा हो गया है. मालिक के अनुसार इंग्लैंड के राजपरिवार की सहमति से ही फिल्म का निर्माण हो रहा है और इसकी शूटिंग भी इंग्लैंड में की गयी है.