निर्भया गैंगरेप के मामले में चारों दोषियों को 7 साल के बाद तिहाड़ जेल में शुक्रवार सुबह फांसी की सजा दे दी गई। इस मामले में तीन डेथ वारंट पर किसी न किसी वजह से फांसी पर रोक लगी लेकिन कोर्ट के चौथे डेथ वारंट पर चारों दोषियों को फांसी की सजा दी गई।
ऐसे में बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस प्रीति जिंटा (Priety Zinta) ने न्यायिक व्यवस्था के ढीले रवैये पर अपनी भड़ास निकाली। उन्होने ट्वीट कर कहा, अगर निर्भया के दोषियों को 2012 में ही फांसी दे दी जाती तो महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों में कमी देखने को मिलती। कानून का डर लोगों के अंदर देखने को मिलता। अब समय आ गया है कि भारत सरकार इस दिशा में कुछ कड़े कदम उठाए।
If #Nirbhaya rapists were hung in 2012 the judicial system would have stopped so much crime against women. Fear of the law would have kept the lawless in check. Prevention is always better than cure. It’s time the Indian govt. takes steps for judicial reforms. #RIPNirbhaya?
— Preity G Zinta (@realpreityzinta) March 20, 2020
अपने अगले ट्वीट में प्रीति जिंटा (Priety Zinta) ने लिखा, “आखिरकार निर्भया (Nirbhaya Case) का केस अपने अंत तक पहुंचा। मैं आशा करती हूं कि यह और भी तेजी से हो सकता था, लेकिन मैं इसपर भी खुश हूं। आखिरकार वह और उसके माता-पिता शांति में रह सकेंगे।”
Finally the #Nirbhayacase comes to an end. I wish it would have been faster but I’m happy it’s over. Finally she & her parents are in peace. #RIPJyoti #RIPNirbhaya #Justicedelayed #TookTooLong
— Preity G Zinta (@realpreityzinta) March 20, 2020
वहीं रितेश देशमुख ने ट्वीट कर अपने विचार रखे हैं, रितेश लिखते हैं- कड़े कानून, कड़ी सजा और न्यायपालिका का तेजी से फैसला लेना जरूरी है क्योंकि तभी उन राक्षसों में खौफ पैदा होगा जो ऐसी बर्बरता को अंजाम देते हैं।
Stricter law enforcement, harsher punishment & fast courts for quick justice is the only way to instil fear in monsters who even think of such heinous acts. #JusticeForNirbhaya
— Riteish Deshmukh (@Riteishd) March 20, 2020
बता दें कि निर्भया गैंगरेप और मर्डर के चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे फांसी पर लटका दिया गया। सात साल से ज्यादा लंबे समय के बाद आखिरकर निर्भया को इंसाफ मिल गया। कोर्ट की तरफ से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद फांसी के लिए कई तारीखें तय हुईं, लेकिन दोषी कोई न कोई तिकड़म अपनाकर बच ही जाते थे।