इलाहबाद | नोट बंदी से देश का हर तबका प्रभावित हुआ है. चाहे आम हो या खास, सभी देश में कैश की समस्या से झूझ रहे है. ऐसे में अगर सरकार यह कहती है की अब बैंक और एटीएम के बाहर लाइन कम हो रही है और स्थिति नियंत्रण में है तो यह काफी हास्यपद लगता है. यही नही सरकार यह मानने के लिए भी तैयार नही है की आरबीआई के पास कैश की कमी नही है. अब ज्यादातर लोग कहने लगे है की नोट बंदी को अमल में लाने के लिए सरकार ने उचित व्यवस्था नही की थी.
मशहूर फिल्म मेकर महेश भट्ट ने भी नोट बंदी से लोगो को हो रही परेशानी पर बोलते हुए कहा की हो सकता है बड़े शहरो में कुछ लाइन छोटी हुई हो लेकिन गाँव कस्बो में हालात अभी भी जस के तस बने हुए है. सरकार को दूर् दराज के गाँव में कैश पहुँचाने के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए. मुंबई जैसे शहरो में भी स्थिति में कोई सुधार नही हुआ है. इस मामले में सरकार के आंकड़े हवाई नजर आते है.
उधर नोट बंदी से कालाधन आने के सवाल पर महेश भट्ट ने कहा की यह ऐसा ही जैसी परियो की कहानी होती है. नोट बंदी से कालाधन वापिस आना महज एक कल्पना है. और कल्पना कभी भी सच नही होती. अब यह तो वक्त बताएगा लेकिन कालाधन वापिस आये या न आये लेकिन इससे लोग परेशान जरुर हो रहे है. प्रधानमंत्री जी ने 50 दिन मांगे है इसलिए कुछ और दिन इंतज़ार कर लेते है.
इलाहबाद में चल रहे संचारी नाटक महोत्सव में भाग लेने आये महेश भट्ट ने आगे कहा की अगर 50 दिन परेशानी दूर नही होती है तो मुंह में जबान हम भी रखते है. हम पूछेंगे की नोट बंदी से लोगो को परेशानी के अलावा देश को क्या मिला. लोकतंत्र में सवाल पूछते रहना बहुत जरुरी है इसलिए हम बार बार सवाल करते रहेंगे. इस मुद्दे पर फिल्म बनाने को लेकर महेश भट्ट ने कहा की हम तो नही लेकिन कोई और इस पर फिल्म बना सकता है.