मुंबई,’अमिताभ बच्चन ने हंसाने के गुर मुकरी से सीखे थे…’ ‘तय्यब अली प्यार का दुश्मन हाय-हाय…’ ‘मन्नु भाई मोटर चली पम पम पम…’ और ‘भई मुछें हों तो नत्थू लाल जैसी…’।
आप समझ गए होंगे कि इन गानों और इस मशहूर संवाद से हम किस एक्टर की ओर इशारा कर रहे हैं। आप ठीक समझे, हास्य अभिनेता मुकरी के बारे में हम बात कर रहे हैं, जिनका आज बर्थडे है। 15 साल पहले इस दुनिया से अलविदा हो चुके मुकरी का नाम आज भी जो सुनता है, वो नाम से ही हंस देता है।
चार फुट कद के गोल-मटोल मुकरी ने 600 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उनकी भूमिका चाहे छोटी ही क्यों ना रही, लेकिन दर्शकों को हंसाने में उन्होंने कभी कंजूसी नहीं बरती। कहते हैं कि बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर भी मुकरी की हास्य प्रतिभा के कायल थे।
दिलीप कुमार, सुनील दत्त, राज कपूर, देवानंद, संजीव कुमार, प्राण ही नहीं बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन से भी उनकी गहरी यारी रही। कहा तो यह भी जाता है कि अमिताभ बच्चन ने मुकरी से लोगों को हंसाने के गुर सीखे थे। मुकरी को इंग्लिश नहीं आती थी।
लेकिन वे बड़े आत्मविश्वास से इंग्लिश के शब्द बोलते थे। ऐसे किस्से भी सुने जाते हैं कि एक बार सुनील दत्त ने उन्हें अपनी कंपनी अंजता आर्ट्स के एक कार्यकम में माइक के आगे खड़ा कर दिया। दिलचस्प बात यह थी कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विदेशी राजदूत थे।
मुकरी अपने साथ हुई शरारत को समझ गए लेकिन वह घबराए नहीं। पूरे आत्म विश्वास से अपनी फन्नी अंग्रेजी में बोले, ‘सर, वी होप यू एनजाय प्रोग्राम। वी टू एंज्वाय यू।’ यह सुनते ही मुख्य अतिथि समेत सभी हंसते-हंसते लोट पोट हो गए।
मुकरी ये यह अंदाज अमिताभ ने सीखा और इसे नमक हलाल में दर्शाया। जी हां, फिल्म में ..इंग्लिश इज ए फन्नी लैंग्वेज, आई कैन टाक इंग्लिश, आई कैन वाक इंग्लिश… जैसे संवाद बोलकर अमिताभ ने खूब वाहवाही लूटी। यह सब मुकरी की प्रेरणा से उन्होंने किया।
मुकरी को पर्दे के सामने लाने का श्रेय देविका रानी को जाता है। बताते चलें कि 05 जनवरी 1922 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के अलीबाग में जन्मे मुकरी का असली नाम मोहम्मद उमर मुकरी था। मुकरी बांबे टाकीज में सहायक निर्देशक थे। दिलीप कुमार की ‘प्रतिमा’ की शूटिंग चल रही थी।
बांबे टाकीज की मालकिन मशहूर अभिनेत्री देविका रानी अक्सर मुकरी को देखा करती थीं। उनका छोटा कद, गोल-मटोल चेहरा और सहज दंतविहीन मुस्कान देखते ही देविका रानी हंसे बिना न रहतीं। मुकरी को देखते ही उनका तनाव दूर हो जाता। उन्होंने सोचा कि यह आदमी कैमरे के पीछे की बजाय परदे पर ठीक रहेगा।
इसमें दूसरों को बिना बोले ही हंसाने की भरपूर कूवत है। बस मुकरी परदे पर आ गए। उनको ज्यादा संवाद बोलने की जरूरत नहीं पड़ी। दर्शक उन्हें देखकर ठहाके भरने लगते।
मुकरी की चर्चित फिल्में हैं- परदेस, सजा, मिर्जा गालिब, मदर इंडिया, कालापानी, काली टोपी लाल रूमाल, अनाड़ी, बेवकूफ, अनुराधा, मनमौजी, असली नकली, फूल बने अंगारे, बहुरानी, पूजा के फूल, मेरा साया, दादी मां, सूरज, मिलन, अनीता, राजा और रंक, इज्जत, पिया का घर, अनोखी रात, चिराग, प्रेम पुजारी, पारस, बांबे टू गोवा, लोफर, नया दिन नयी रात, अर्जन पंडित, फकीरा, गंगा की सौगंध, दि बर्निंग ट्रेन, उमराव जान, नसीब, लेडीज टेलर, लावारिस, खुद्दार, गंगा जमुना सरस्वती, राम लखन, दाता आदि।
साभार अमर उजाला